भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देव }}{{KKAnthologyGarmi}} <poem> ग्रीषम प्रचंड घाम चंडकर मंडल ते…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देव
}}{{KKAnthologyGarmi}}
<poem>
ग्रीषम प्रचंड घाम चंडकर मंडल तें,
घुमड्यौ है ’देव’ भूमि मंडल अखंड धार ।
भौन तें निकुंज भौन, लहलही डारन ह्वै,
दुलही सिधारी उलही ज्यों लहलही डार ॥
नूतन महल, नूत पल्लवन छवै छवै से,
दलवनि सुखावत पवन उपवन सार ।
तनक-तनक मनि-नूपुरु कनक पाई,
आइ गई झनक-झनक झनकारवार ॥
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=देव
}}{{KKAnthologyGarmi}}
<poem>
ग्रीषम प्रचंड घाम चंडकर मंडल तें,
घुमड्यौ है ’देव’ भूमि मंडल अखंड धार ।
भौन तें निकुंज भौन, लहलही डारन ह्वै,
दुलही सिधारी उलही ज्यों लहलही डार ॥
नूतन महल, नूत पल्लवन छवै छवै से,
दलवनि सुखावत पवन उपवन सार ।
तनक-तनक मनि-नूपुरु कनक पाई,
आइ गई झनक-झनक झनकारवार ॥
</poem>