भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>'''लेखन वर्ष: २००४/२०११''' ज़िन्दगी तेरे साथ से क्या मिला जुज़''': <ref>अतिरिक्त । '''ऐजाज़''': जादू । '''</ref> तन्हाई केहर गाम इक मंज़िल है लोग मिलते रुसवाई के अब तो भरोसा ही उठ गया दुनिया के लोगों सेअहले-जहाँ <ref>दुनिया वाले</ref> कब क़ाबिल थे सनम तेरी भलाई के ये चाक जिगर यूँ फड़का कि तड़पके फट ही गयाऐजाज़े-रफ़ूगरी!<ref>सिलाई की जादूगरी</ref> ताग़े टुट गये सिलाई के वो फ़ज़िर''': <ref>भोर । '''</ref> के रंग और वो शाम का हुस्न अब कहाँचंद कुछ निशान थे सो मिट गये तेरी ख़ुदाई के हिज्र''': <ref>विरह''</ref> के रंगों में सराबोर हैं अब मेरी रातेंकाँटों के बिस्तर पे बिताता हूँ दिन जुदाई के करवटें बदल-बदलकर मेरी रातें गुज़रती हैंनसीब नहीं अब मुझको हुस्न तेरी अँगड़ाई के {{KKMeaning}}</poem>