भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
'''लेखन वर्ष: 2004२००४/२०११'''
मेरा यह दर्द ख़त्म हो जाये कभी
टूट चुके हैं मेरी तमन्ना के दोश<ref>कंधे</ref>तू ख़ुद संभाला देने को मुझे संभालने आये कभी
कबसे गया है न आया आज तकतलकमेरी आरज़ू चाहत तुझे खींच लाये कभी
कोई इस तस्कीं को मिटाये कभी
शामें ग़मगीन शाम है <ref>दुख में लिप्त</ref> हैं और उदास हमक्यों गुफ़्तगू <ref>बातचीत</ref> का मौक़ा आये कभी
ख़स्ता हाल <ref>बहुत कमज़ोर</ref> है दिल बहुत तेरे लिएतुझे तुझको गर मजमूँ यह <ref>विषय</ref> समझ आये कभी
तेरी कशिश भरी एक नज़र इधरभी हो
दिल पर अपना जादू चलाये कभी
तुम न जानो मेरे मेरा प्यार के बारे मेंये अलग बातऔर पर ख़ुशबू तेरा पयाम लाये कभी
पहली नज़र से जो हसरत है मुझे
काश ख़ूबरू सुम्बुल उसे समझ पाये कभी
</poem>