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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>

यों तो होँठों से कुछ न कहता है
प्यार नज़रों में उसकी रहता है

उसके वादे का एतबार किया
यह समझकर कि झूठ कहता है

कौन समझेगा दिल की बेताबी
ख़ून आँखों से जब न बहता है!

प्यार की हर सज़ा क़बूल हमें
दिल तेरी बेरुख़ी न सहता है

कोई मिलता नहीं हो तुझसे, गुलाब!
फिर भी अनजान नहीं रहता है
<poem>
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