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इन्हीं दीपकों से फैलेंगी ज्योति अहिंसा की अविकार
मैं जड़ साधन मात्र सत्य की इस चिर -दुर्दम आँधी का
शंख-सदृश जयघोष कर रहा, मैं पूजन का प्रतनु प्रतीक,
भृत्य भारवाही मैं, शुभ सन्देश सुनाता गाँधी का,