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Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार =रवि प्रकाश}}{{KKCatKavita}}<poem>
इन पेड़ों को ,
मैं ,मेरी पहचान और मेरी सभ्यता
विस्थापित हो रही है !</poem>