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{{KKRachna
|रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह
|संग्रह=वंशी और मादल/ ठाकुरप्रसाद सिंह
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तुम मान्दोरिया
 
हम नाचोनिया
 
मादर ना बजा
 
रसीला मादर न बजा
 
बाप खड़े
 
माँ खड़ी
 
खिड़की का पल्ला धरे
 
खड़ा है पिया
 
हम नाचोनिया
 
मादर ना बजा
</poem>
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