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Kavita Kosh से
प्रश्-सूचक चिन्ह
सारी रात
उल्कापात
थक गई है नब्ज जब संवेदना की
क्या करे कमज़ोर संजीवन
ओढ़ धूमिल धूप पीता अनमनापन।
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