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सूना घर-आँगन लागे अपना सा हर शख़्स हुआ है ए साथीबिन तेरे ना मन लागे ये कैसा उन्माद जगा है ए साथी
तुझसे थीं हर सिम्त बहारें, बिन तेरेसुख से है सौतेला रिश्ता उजड़ा हर उपवन लागे दुख जीवन का भाई सगा है ए साथी
दुख से बोझिल साँसें रूकने को आतुरशिक्षा के प्रति देख समर्पण थमती सी धड़कन लागे वज़नी बच्चे से बस्ता है ए साथी
नयनों का जल भूला सब मर्यादाएँआ मालूम करें असलीयतजब चाहे बरसन लागे बैनर का उन्वान भला है ए साथी
जाने क्या है तुझसे दो अगला दिन की यारी अच्छा गुज़रेगा जन्मों का बन्धन लागे हर दिन ये अनुमान मरा है ए साथी
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