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भावार्थ :--श्रीहरि को गोद में लेकर नन्दरानी यशोदा जी स्तनपान करा रही हैं तथा बार-बार श्रीरोहिणी जी से कह-कहकर खटुलिया (शिशु के छोटे पलंग) को आँगन में मँगाती हैं ।`ये प्रातःकालीन सूर्य की कोमल किरणें हैं, इस प्रकार कहकर पुत्र को बतलाती (सूर्यदर्शन कराती) हैं । `किरणो ! मेरे घर में मेरे लालके लाल के आँगन में आओ।' (बार-बार) बाललीला का गान करती हैं । सुन्दर शय्या पर मोहन को ले जाकर अपनी भुजा पर उनका सिर रखकर गोद में शयन कराती हैं । सूरदास जी कहते हैं--मेरे प्रभु कन्हाई जब सो गये, तब उन्हें झुलाती तथा थपकी देकर प्यार करती हैं ।