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Kavita Kosh से
पण फेरयूं भी रैंवती
आधी मन री बात ।।
काळ तनै अतरो कियां
इण मरूधर अपणेस |
बेगो पूठो बावड़ै
ज्यावै जे परदेस |
प्रीत हुई अब पांगळी
मतलब हुयो जावान |
धरम करम थोथा हुया
मूँगों धोबो धान |
मेल ऊंट पर गुदड़ा
हुया गाँव सूं भीर |
मूड मूड जोवै झूंपड़ा
भर्या नैण में नीर |