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'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ

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* [[ चली अब गुल के हाथों से लुटा कर कारवाँ अपना / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ]]* [[हम ने की है तौबा और धूमें मचाती है बहार / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ]]* [[न तू मिलने के अब क़ाबिल रहा है / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ]]* [[तजल्ली गर तेरी पस्त ओ बुलंद उन को दिखलाती / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ]]* [[उस गुल को भेजना है मुझे ख़त सबा के हाथ / 'मज़हर' मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ]]
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