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|संग्रह=
}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<poem>कीं तो खायग्यो राज
कीं लिहाज
अर रह्यो-सह्यो खायगी चूंध’र खाज
-चौथी ओळी बांचणियै नै
जचै ज्यूं मांडो आज ।आज।</poem>