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घर-1 / पूर्ण शर्मा पूरण

1 byte added, 07:07, 16 अक्टूबर 2013
}}
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatMoolRajasthani‎KKCatRajasthaniRachna}}<poem>धड़ाधड़ धुड़ै
घर
तौ ई उण नै लागै
नीं हुवंण सूं बेसी हुवै
हुवंण रौ डर।</poem>
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