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}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthaniRachna}}<poem>धड़ाधड़ धुड़ै
घर
तौ ई उण नै लागै
नीं हुवंण सूं बेसी हुवै
हुवंण रौ डर।</poem>