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<poem>
मारो ना कोई ललन पर टोना।
मिथिला पुर के सखिया सेयानी आपन संभार लेहु नैना।
जइसन सिया जी बनीं सलोनी ओइसे सियावर सलोना।
माता-पिता के बस कुछ नाहीं करम लिखा सोई होना।
मधुरी रूप महेन्दर निरखे इहे बियाह इहे गवना।
</poem>
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