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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिया चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatRajasth...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=सिया चौधरी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>ओळूं आई...
मां रै सागै थांरी
करती ही हथाई
फेर आ जावती लाज
जद मां बतावती
सासरियै री कोई बात....।
म्हनैं पाछी
मधरै वायरै-सी
ओळूं आई...
बैनां चिड़ावती,
हंसती अर कैवती-
ओ लाडेसर जीजी!
थांरो ब्यांव करांला
कैर रै उपराळै बैठा....।
फेर कठै सूं
थाक्योड़ी-सी म्हनैं
ओळूं आई....
बिना खोट, क्यूं थे
भेज दियो संदेसो
कै नीं आवैली
म्हारै मांढै ऊपरां
थांरी बरात....।</poem>
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|संग्रह=
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मां रै सागै थांरी
करती ही हथाई
फेर आ जावती लाज
जद मां बतावती
सासरियै री कोई बात....।
म्हनैं पाछी
मधरै वायरै-सी
ओळूं आई...
बैनां चिड़ावती,
हंसती अर कैवती-
ओ लाडेसर जीजी!
थांरो ब्यांव करांला
कैर रै उपराळै बैठा....।
फेर कठै सूं
थाक्योड़ी-सी म्हनैं
ओळूं आई....
बिना खोट, क्यूं थे
भेज दियो संदेसो
कै नीं आवैली
म्हारै मांढै ऊपरां
थांरी बरात....।</poem>