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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=दुष्चक्र में सृष्टा / वीरेन डंगवाल
}}
हस्ती की इस पिपहरी को<br>
यों ही बजाते रहियो मौला!<br>
आवाज़<br>
बनी रहे आख़िर तक साफ-सुथरी-निष्कंप