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|रचनाकार=पूर्णिमा वर्मन
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatGeet}}<poem>अब तो नींद नहीं आएगी देख सिरहाने याद तुम्हारीहमने तो रिश्ता बोया थाप्यार न जाने कब उग आयाकब सींचा कब हरा हो गयाकैसे कर दी शीतल छायाअब इस दिल को कौन संभाले ना कांधा ना बांह तुम्हारी
अब कब जाना था साथ बंधे तो नींद नहीं आएगी <br>देख सिरहाने याद तुम्हारी<br>हमने तो रिश्ता बोया था<br>प्यार न जाने कब उग आया<br>कब सींचा कब हरा दूर-दूर हो गया<br>अलग चलेंगेकैसे कर दी शीतल छाया<br>सातों कसमें खाने वालेअब इस दिल दो बातों तक को कौन संभाले <br>तरसेंगेआधी रातें घनी चाँदनी ना कांधा ना बांह तुम्हारी<br><br>आँगन सूना मौसम भारी
कब जाना था साथ बंधे तो<br>दूर-दूर हो अलग चलेंगे<br>सातों कसमें खाने वाले<br>दो बातों तक को तरसेंगे<br>आधी रातें घनी चाँदनी <br>आँगन सूना मौसम भारी <br><br> दुनिया छोटी है, सुनते थे <br>दूर न कोई जा पाता है <br>समय लगा कर पंख, कहा था<br>पल भर में ही उड़ जाता है<br>पर पल भी युग बन जाता है<br>नहीं पता थी यह लाचारी<br><br/poem>
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