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{{KKRachna
|रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’
|अनुवादक=
|संग्रह=म्हारै पांती रा सुपना / राजू सारसर ‘राज’
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बै
जुगां रा पग-सैंनाण
सइकां पै’लां रौ सिरजण।
बातां
इतियास री नीं है
फगत भणवा सारू
जूनां मारगां चालतां
उणां रै महतब रो उजास
नीं हो सकै मगसौ
सइकां पच्छै ई
राम रो आदरस पुरूसोतम सरूप
किरसन रो करमजोग
तरेता अर द्वापर रा
उतम जीवण री
सिगरेट मसालां
इण डाफाचूक संसकिरती री
राफटरोळ में
नीं है अपरासंगिक
नीं है कोरा-मोरा उपदेस
बानैं करवा पण धारण
बणनौं पड़ै
हणमंत-अरजन।
</poem>
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बै
जुगां रा पग-सैंनाण
सइकां पै’लां रौ सिरजण।
बातां
इतियास री नीं है
फगत भणवा सारू
जूनां मारगां चालतां
उणां रै महतब रो उजास
नीं हो सकै मगसौ
सइकां पच्छै ई
राम रो आदरस पुरूसोतम सरूप
किरसन रो करमजोग
तरेता अर द्वापर रा
उतम जीवण री
सिगरेट मसालां
इण डाफाचूक संसकिरती री
राफटरोळ में
नीं है अपरासंगिक
नीं है कोरा-मोरा उपदेस
बानैं करवा पण धारण
बणनौं पड़ै
हणमंत-अरजन।
</poem>