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|रचनाकार=अज्ञात
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}}
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<poem>
कमल नैन जब से गये तब से चित नहि चैन
व्याकुल जल बिन मीन है पल लागे नहि चैन
खबर न पायों श्याम की रहे मधुपुरी छाय
प्रीतम बिछुड़े प्रेम के कीजै कउन उपाय
उयं कुन्जैइ उंइं दु्रमलता उंइ पलास के पात
जा दिन ते बिछुड़े जदुनन्दन कोउ नहि आवत जात
</poem>
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कमल नैन जब से गये तब से चित नहि चैन
व्याकुल जल बिन मीन है पल लागे नहि चैन
खबर न पायों श्याम की रहे मधुपुरी छाय
प्रीतम बिछुड़े प्रेम के कीजै कउन उपाय
उयं कुन्जैइ उंइं दु्रमलता उंइ पलास के पात
जा दिन ते बिछुड़े जदुनन्दन कोउ नहि आवत जात
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