भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाळा / निशान्त

666 bytes added, 10:02, 4 मई 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
रूई रै कारखानै सूं
निकलेड़ै मजूर रै
चिपक्या है
अणथाक जाळा
अै चिपक्या हुसी
ईं रै भीतर ई

पण किणनै दिखै बै
न इण नै न कारखानै रै
धणी नै

बै निगै आसी
स्यात अेक दिन
सफाखानैआळी मसीन नै।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits