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कितनी बड़ी दिखती दीखती होंगी, मक्खी को चीजें छोटी।। छोटी, सागर -सा प्याला भर जल, पर्वत -सी एक कौर रोटी।। रोटी।  खिला फूल गुलगुल गद्दा सागुलदस्ते जैसा, काँटा भारी भाला सा।|। -सा,ताला तालों का सूराख उसे,। होगा बैरगिया बैरंगिया नाला सा।।-सा। हरे -भरे मैदान की तरह,। होगा इक एक पीपल का पात।। पात,भेड़ों पेड़ों के समूह -सा होगा,। बचा -खुचा थाली का भात।।भात। ओस बून्द बूँद दर्पण -सी होगी, सरसों होगी बेल समान।।बैल समान, साँस मनुज की आँधी -सी,। करती होगी उसको हैरान।हैरान!
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