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चुन्नू-मुन्नू / अली शेर अली

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<poem>आज पिताजी बकरी लाए,
संग में दो बच्चे भी आए।

‘चुन्नू-मुन्नू’ इनके नाम,
उछल-कूद है इनका काम।

‘मैं-मैं’ करते दोनों बच्चे,
कितने सुंदर कितने अच्छे।

माँ, ये भूखे रह न पाएँ,
चाहे हम भूखे रह जाएँ।

ये सब कुछ सह लेते हैं,
हम सब कुछ कह देते हैं।

इनकी माँ भी भोली है,
अब बाँधी तब खोली है।

‘मैं-मैं’ कर मिमियाती है,
बच्चे पास बुलाती है।
</poem>
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