भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये घोड़ा सुंदर / प्रयाग शुक्ल

1,178 bytes added, 13:05, 5 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>ये तितली पीली-पीली,
ये चिड़िया नीली-नीली।
ये छोटी बड़ी पतीली,
ये थाली बड़ी सजीली।

ये आए हाथी दादा,
मोटे हैं कितने ज्यादा।
ये खों-खों करता बंदर,
ये घोड़ा कितना सुंदर।

ये लट्टू घूम रहा है,
ये भालू झूम रहा है।
यह रेल चली आती है,
छुक छुक करती जाती है।

यह आया एक कबूतर,
यह मोर और यह तीतर।
यह बिल्ली काली-काली
यह रंग बिरंगी डाली।

यह आम और यह केला,
यह लंबा पेड़ अकेला।
लो आए खूब खिलौने,
ये सचमुच बड़े सलोने।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits