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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>ये तितली पीली-पीली,
ये चिड़िया नीली-नीली।
ये छोटी बड़ी पतीली,
ये थाली बड़ी सजीली।
ये आए हाथी दादा,
मोटे हैं कितने ज्यादा।
ये खों-खों करता बंदर,
ये घोड़ा कितना सुंदर।
ये लट्टू घूम रहा है,
ये भालू झूम रहा है।
यह रेल चली आती है,
छुक छुक करती जाती है।
यह आया एक कबूतर,
यह मोर और यह तीतर।
यह बिल्ली काली-काली
यह रंग बिरंगी डाली।
यह आम और यह केला,
यह लंबा पेड़ अकेला।
लो आए खूब खिलौने,
ये सचमुच बड़े सलोने।
</poem>
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<poem>ये तितली पीली-पीली,
ये चिड़िया नीली-नीली।
ये छोटी बड़ी पतीली,
ये थाली बड़ी सजीली।
ये आए हाथी दादा,
मोटे हैं कितने ज्यादा।
ये खों-खों करता बंदर,
ये घोड़ा कितना सुंदर।
ये लट्टू घूम रहा है,
ये भालू झूम रहा है।
यह रेल चली आती है,
छुक छुक करती जाती है।
यह आया एक कबूतर,
यह मोर और यह तीतर।
यह बिल्ली काली-काली
यह रंग बिरंगी डाली।
यह आम और यह केला,
यह लंबा पेड़ अकेला।
लो आए खूब खिलौने,
ये सचमुच बड़े सलोने।
</poem>