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{{KKRachna
|रचनाकार=राजनारायण चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>मने जन्म-दिन मेरा!
फूलों से मह-मह-मह करते
हैं घर-आँगन सारे,
नीले-पीले लाल, बैंगनी
लटक रहे गुब्बारे।
जगमग-जगमग करे रोशनी,
भागा दूर अँधेरा!
नए-नए कपड़ों में नन्हा
राजकुंवर मैं लगता,
दिल में रह-रहकर खुशियों का
जलतरंग है बजता।
लगे आज घर-आँगन ने भी
मधुर-मधुर स्वर छेड़ा!
कुंकुम-रोली का टीका
मेरे माथे पर सोहे,
रंग-बिरंगी लटकी झालर
सबके मन को मोहे।
दे-दे मुझे बधाई सबने
चूमा माथा मेरा!
मोमबत्तियाँ और केक
लेकर पापा हैं आए,
मिठाइयों से भर-भरकर
मम्मी ने थाल सजाए।
कलाकंद, बरफी, चमचम हैं
है रसगुल्ला-पेड़ा!
</poem>
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|रचनाकार=राजनारायण चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>मने जन्म-दिन मेरा!
फूलों से मह-मह-मह करते
हैं घर-आँगन सारे,
नीले-पीले लाल, बैंगनी
लटक रहे गुब्बारे।
जगमग-जगमग करे रोशनी,
भागा दूर अँधेरा!
नए-नए कपड़ों में नन्हा
राजकुंवर मैं लगता,
दिल में रह-रहकर खुशियों का
जलतरंग है बजता।
लगे आज घर-आँगन ने भी
मधुर-मधुर स्वर छेड़ा!
कुंकुम-रोली का टीका
मेरे माथे पर सोहे,
रंग-बिरंगी लटकी झालर
सबके मन को मोहे।
दे-दे मुझे बधाई सबने
चूमा माथा मेरा!
मोमबत्तियाँ और केक
लेकर पापा हैं आए,
मिठाइयों से भर-भरकर
मम्मी ने थाल सजाए।
कलाकंद, बरफी, चमचम हैं
है रसगुल्ला-पेड़ा!
</poem>