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जो डसता है अक्सर उसको दूध पिलाया जाता है
कैसी बेहिस<ref>अनुभूति शून्य, निस्पृह, चेतना शून्य</ref> दुनिया है यह छाँव के ही गुन गाए धूप <ref></ref>
तेरे शह्र में अबके रंगीं चश्मा पहन के आए हम
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