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चुप्प / रेखा चमोली

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<poem>मैंने कहा, चूहा
वह शरारत से मुसकायी
पास बैठी ,
बोली
कुतरना ,बिल्ली, खेत, चारपाई
सरपट -कटकट
जाने क्या-क्या ?

मैनें कहा , तितली
वो झुक आयी मेरी गोद में
ऑखें चमकाती सुनाने लगी किस्से
फूलों ,हवाओं ,बादलों ,पतंगों के

मैंने कहा, चुप्प
उसने फेर लिया मुॅह।
</poem>
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