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{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
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}}
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<poem>सच है
चीजें जब तक संभाले रक्खो
संभली रहती हैं
छोड़ दो तो छूट जाती हैं
फर्श पर टूटा हुआ चाय का कप
कह गया
जैसे यह
हाथ से गिरते-गिरते
हाथ की ऊंगलियों के बीच
अब बस
एक अहसास का निशान रह गया है ।
</poem>
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<poem>सच है
चीजें जब तक संभाले रक्खो
संभली रहती हैं
छोड़ दो तो छूट जाती हैं
फर्श पर टूटा हुआ चाय का कप
कह गया
जैसे यह
हाथ से गिरते-गिरते
हाथ की ऊंगलियों के बीच
अब बस
एक अहसास का निशान रह गया है ।
</poem>