भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा पाठक |अनुवादक= |संग्रह=मैं ए...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>सूखे पत्तों सी
चरमरा रही
धरती
हरा हार गया
एक कुआं भागता है
गांव के रास्ते पर
प्यास पीछा करती है
समय से पहले मरे पेड़ों की
चिता पर
कुछ भूख सिकती है।</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>सूखे पत्तों सी
चरमरा रही
धरती
हरा हार गया
एक कुआं भागता है
गांव के रास्ते पर
प्यास पीछा करती है
समय से पहले मरे पेड़ों की
चिता पर
कुछ भूख सिकती है।</poem>