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पेरियार / अज्ञेय

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ओ साँस! समय जो कुछ लावे <br>
सब सह जाता है: <br>
दिन, परपल, छिन-- छिन— <br>
इन की झांझर में जीवन <br>
कहा अनकहा रह जाता है। <br>
तू बढ़ता कहाँ जाएगा? <br>
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<span style="font-size:14px">(पेरियार केरल की एक नदी है जिसके किनारे कालडि में शंकराचार्य का जन्म हुआ था।)</span>
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