भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ओ साँस! समय जो कुछ लावे <br>
सब सह जाता है: <br>
दिन, परपल, छिन-- छिन— <br>
इन की झांझर में जीवन <br>
कहा अनकहा रह जाता है। <br>
तू बढ़ता कहाँ जाएगा? <br>
----
<span style="font-size:14px">(पेरियार केरल की एक नदी है जिसके किनारे कालडि में शंकराचार्य का जन्म हुआ था।)</span>
Anonymous user