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बिजरावत हमल अंधियार हर बार के देखो तो एक बार
जइसे बिलई हर मुसवा खाथय ,अंधियार के खुंटी उजार
ये दीया कभू झन बुताये अइसन तेल ल डार दे।
जिंहा जाय नइ चंदा सूरज ,दीया ह आथय उंहा कामचुप्पे सपटे रहिथे अंधेरा,दीया ल बीन बीन के खातज्ञानी गुनी दीया ल संगी पियार दे दुलार दे ।दे।
बत्तर हे अंधियार के वासी,दीया बुझाये के करथे काम
कहिथे तोर अंजोर करे मं मिट जाथे संगी के नाम
मर जाथय जर के बत्तर दीया के जय उतार दे।
दुख पाके सुख बटइया ल दया मया के धार दे।
बत्तर के संगवारी हवा हर,आथे दल बादल के साथदीया के तीर टिक्‍की नइ लागय ,पल्‍ला भागथे रोवत गात
बलि दीया के नाव ल संगी दसो दिशा परचार दे।
</poem>
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