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{{KKRachna
|रचनाकार=राजूराम बिजारणियां
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
देख पावणा
चौकी आवतां
ताण मोद में सिर
टोकीजोड्या दोनूं हाथ।
लगा सुसरै जी रै धोक
देंवतो फेरी
बटाऊ भतूळियो
करणै सारू सिलाम
ढळग्यो
लुळतो पड़ाल कानीं।
</poem>
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<poem>
देख पावणा
चौकी आवतां
ताण मोद में सिर
टोकीजोड्या दोनूं हाथ।
लगा सुसरै जी रै धोक
देंवतो फेरी
बटाऊ भतूळियो
करणै सारू सिलाम
ढळग्यो
लुळतो पड़ाल कानीं।
</poem>