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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=जरिबो पावक मांहि / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मुझे नींद में चलने की आदत है
कई बार मैं
वहाँ चला जाता हूँ
जहाँ मुझे नहीं जाना चाहिए
और कई बार तो
वहाँ तक ...
जहाँ से
लौटना नामुमकिन है !
____________________
मुंदी पलकों पर
तुम्हारे होठों का एक एहतियात भरा खत...
कुछ लिपियाँ
बंद आँखों के लिए ही ईज़ाद की गयी हैं
आँख खोलो तो
सारे कमरे में हिना की खुशबू
ख़्वाब और महक की यह जुगलबंदी ...?
झूठे !
तुम अभी भी ख्वाबों में आते हो न !
</poem>
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|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=जरिबो पावक मांहि / आनंद कुमार द्विवेदी
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<poem>
मुझे नींद में चलने की आदत है
कई बार मैं
वहाँ चला जाता हूँ
जहाँ मुझे नहीं जाना चाहिए
और कई बार तो
वहाँ तक ...
जहाँ से
लौटना नामुमकिन है !
____________________
मुंदी पलकों पर
तुम्हारे होठों का एक एहतियात भरा खत...
कुछ लिपियाँ
बंद आँखों के लिए ही ईज़ाद की गयी हैं
आँख खोलो तो
सारे कमरे में हिना की खुशबू
ख़्वाब और महक की यह जुगलबंदी ...?
झूठे !
तुम अभी भी ख्वाबों में आते हो न !
</poem>