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{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेन्द्र सुन्दरम
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थूं
फूटरी घणीं लागै
जद थूं
म्हां सूं
दूर होवै।
थूं
ओज्यूं
फूटरी होवण
म्हां सूं दूर
कद जासी।
</poem>
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|रचनाकार=सुरेन्द्र सुन्दरम
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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थूं
फूटरी घणीं लागै
जद थूं
म्हां सूं
दूर होवै।
थूं
ओज्यूं
फूटरी होवण
म्हां सूं दूर
कद जासी।
</poem>