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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
खेत री जमीन खातर
लड़ पड़िया हा
दोनूं भाई
रामियो अर स्यामियो।
कोरट मांय कर दियो मुकदमो
ब्यावं-मरण खतम
भाईपै री बातां मांय
नीं रैयो दम।
गांव आळा नेताजी नै बुलायो
भायां रो दुखड़ो सुणायो
भाईपै खातर मांगी मदद
नेताजी हुयग्या त्यार
अलग-अलग बातां सूं
केई महीना काढया
भाई जावता,हाजरी बजावता
ग्यान री बातां सुण
थोड़ा महीनां बांद
भायां रो झोड़ मिटग्यो
पूरो खेत ई
नेताजी रै नांव हुयग्यो।

</poem>
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