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{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यन्त जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थारै
घणाई है
ठाट-बाट
थारै कमी नीं है
किणी बात री
पण
थानै लोग कित्ताक चावै
थारै कन्नै
कुण-कुण आवै
अर थे
किण कन्नै जावौ।
</poem>
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थारै
घणाई है
ठाट-बाट
थारै कमी नीं है
किणी बात री
पण
थानै लोग कित्ताक चावै
थारै कन्नै
कुण-कुण आवै
अर थे
किण कन्नै जावौ।
</poem>