भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रोळ गिदोळ / मदन गोपाल लढ़ा

794 bytes added, 11:38, 9 जुलाई 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जको इन्द्र बण्यो
पैलै दिन
बो ई चौथै दिन
बणग्यो- रावण!

लिछमी बणणियै रै
पांती आयो
सूपनखा रो रोल!

इणींज भांत
मिथिलापति जनक
हड़-हड़ हांस्यो
कुंभकरण रो भेस धार'र!

जीयाजूण दांइ-
आ रोळ-गिदोळ
कींकर हुयगी
रामलीला में?
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits