भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=रोशनी का कारव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
उड़ गये रंग हुए श्वेत हम।
हो गये सूखकर रेत हम।

कब भरे, कब पके, कब कटे,
आज परती पड़े खेत हम।

वक्त़ ने मार डाला हमें,
आदमी से हुए प्रेत हम।

क्या नयन बोलते आपके,
वो समझते हैं संकेत हम।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits