भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatGhazal}}
<poem>
धरा का अँधेरा भगाओ तो जानें।जानें
दिलों में उजाला बढ़ाओ तो जानें।
बहुत दूर से वो महल जगमगाता,
दिये को किरासिन जुटाओ तो जानें।
समन्दर की तारीफ़ भी कोई तारीफ़,
नहर सूखने से बचाओ तो जानें।
विधायक बदलने से कुछ भी न होगा,
सियासत बदलकर दिखाओ तो जानें।
ज़मीं को जहां तक भी चाहो उठा लो,
गगन एक रत्ती झुकाओ तो जानें।
</poem>