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<poem>
बेटियाँ पुनः पुनः आती हैं नैहर
बाबा को देखने
माँ से मिलने
भाई भाभी से नेह का धागा मज़बूत करने
कुछ भूले अभूले रिश्तों में
मुट्ठी भर समय डालने

थोडा खुद को बेफिक्री में खोने
थोडा सब को फ़िक्र में पाने
और पुनः बिछड़ने.
</poem>
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