भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पूजा आई
और सारा शहर जगमगा उठा
लगा जैसे किसी ने
उसके कोढ़ से भरे घावों पर पेंट कर दिया
और बिवाई से फटे पावों पर
साटन का जुर्राब चढ़ा दिया.
पर ओ शहर
तुझे मालूम है न
कि यह मुलम्मा
बस नवमी तक है.
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पूजा आई
और सारा शहर जगमगा उठा
लगा जैसे किसी ने
उसके कोढ़ से भरे घावों पर पेंट कर दिया
और बिवाई से फटे पावों पर
साटन का जुर्राब चढ़ा दिया.
पर ओ शहर
तुझे मालूम है न
कि यह मुलम्मा
बस नवमी तक है.
</poem>