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|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
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<poem>
तुम जब नहीं होते करीब
तब तुम होते हो सबसे ज्यादा करीब
क्या फर्क पड़ता है ?
तुम हो, न हो मेरे पास
दुनिया की सारी रंगीनियों में
खुशबुओं और ऊंचाइयों में
तुम्हें शामिल करके देखने की
आदत सी हो गई है
तुम्हारी अनुपस्थिति में
महसूस करते हुए तुमको।

</poem>
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