भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार एक स्मृति है : एक / इंदुशेखर तत्पुरुष

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम जब नहीं होते करीब
तब तुम होते हो सबसे ज्यादा करीब
क्या फर्क पड़ता है ?
तुम हो, न हो मेरे पास
दुनिया की सारी रंगीनियों में
खुशबुओं और ऊंचाइयों में
तुम्हें शामिल करके देखने की
आदत सी हो गई है
तुम्हारी अनुपस्थिति में
महसूस करते हुए तुमको।