भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सार छंद / सुनीता काम्बोज

21 bytes removed, 06:32, 11 जनवरी 2018
{{KKCatKavita}}
<poem>
सार छंद
मेरे मोहन मेरे गिरधर , मेरे कृष्ण मुरारी
गिरवरधारी नटवर नागर ,मुरलीधर बनवारी