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गुदळकियां / मीठेश निर्मोही

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|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
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<poem>
सूरज रै आथमियां
स्हैर सूं
पूगयां
गांव
देखूं ...
जागै है
घर-घर।

बाड़ै-बाड़ै
बेेंबाड़ै है
रेवड़।

भाजै है आगै-लारै
तांबाड़ती गायां
रिड़कती भैंस्यां
सेवट पावसैला ई
मून धारयां
ऊभा है मिनख।

सगळां नै हेज रै हींडै
रमावै कांमधेण !
</poem>
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