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दुनिया-अेक / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
मिनख नै
सगळै जीवां में
सिरेकार कुण कैयौ
म्हूं तो नीं कैवूं

प्रकृति सूं जुडिय़ोड़ा
सगळा जिनावर जाणै
प्रेम री भासा

पण मिनख
क्यूं जीवै
आपरी अळगी दुनिया में।
</poem>
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