भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatGhazal}}
<poem>
उनकी आँखों में झील सा कुछ है।
शेष आँखों में चील सा कुछ है।
सुन्न पड़ता है अंग अंग मेरा,
उनके होंठों में ईल सा कुछ है।
फ़ैसले ख़ुद-ब-ख़ुद बदलते हैं,
उनका चेहरा अपील सा कुछ है।
हार जाते हैं लोग दिल अक़्सर,
हुस्न उनका दलील सा कुछ है।
ज्यूँ अँधेरा हुआ, हुईं रोशन,
उनकी यादों में रील सा कुछ है।
</poem>